भारत में सरोगेसी वर्षों से उन दंपतियों के लिए आशा की किरण रही है जो किसी चिकित्सकीय कारण से स्वयं गर्भधारण नहीं कर पाते। 2021 में लागू हुए नए Surrogacy Regulation Act ने सरोगेसी प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी, सुरक्षित और नैतिक बनाया है। वर्तमान कानून केवल अल्ट्रुइस्टिक (परोपकारी) सरोगेसी को अनुमति देता है, जिसमें सरोगेट माँ को किसी प्रकार का आर्थिक लाभ नहीं दिया जाता, बल्कि सिर्फ चिकित्सा खर्च और बीमा कवरेज प्रदान किया जाता है।
यह ब्लॉग भारत में परोपकारी सरोगेसी से जुड़े कानून, पात्रता, प्रक्रिया और आवश्यक नियमों को सरल भाषा में समझाता है।
अल्ट्रुइस्टिक सरोगेसी (Altruistic Surrogacy) क्या है?
अल्ट्रुइस्टिक सरोगेसी वह व्यवस्था है जिसमें:
- सरोगेट माँ दंपति से कोई आर्थिक मुनाफ़ा नहीं लेती।
- केवल चिकित्सा खर्च, गर्भावस्था से जुड़े खर्च और बीमा कवर दिया जाता है।
इस मॉडल का उद्देश्य सरोगेसी को व्यावसायिक लाभ से दूर रखकर एक नैतिक और संवेदनशील प्रक्रिया बनाना है।
भारत में सरोगेसी कानून (Surrogacy Regulation Act, 2021)
भारत में वर्तमान कानून केवल परोपकारी सरोगेसी की अनुमति देता है।
व्यावसायिक (पेड) सरोगेसी पूरी तरह प्रतिबंधित है।
कानून के मुख्य बिंदु:
✔ केवल भारतीय विवाहित दंपति (Indian Married Couple) सरोगेसी करवा सकते हैं
- दंपति की शादी को कम से कम 5 वर्ष हो चुके हों।
- आयु सीमा:
- स्त्री: 23–50 वर्ष
- पुरुष: 26–55 वर्ष
✔ सरोगेट माँ केवल एक बार सरोगेसी कर सकती है
और वह भी नि:शुल्क (अल्ट्रुइस्टिक)।
✔ सरोगेट माँ की पात्रता
- विवाहित महिला (कम से कम 1 बच्चा हो)
- आयु: 25–35 वर्ष
- शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ
- रिश्तेदार होनी चाहिए (क़रीबी से लेकर विस्तारित परिवार तक)
✔ चिकित्सा आवश्यकता अनिवार्य
सरोगेसी केवल तब अनुमति है जब डॉक्टरी प्रमाण हो कि:
- महिला गर्भ धारण करने में असमर्थ है
- गर्भधारण से उसकी जान को खतरा है
- कोई चिकित्सकीय स्थिति गर्भधारण रोक रही है
✔ कोई व्यावसायिक लेन-देन नहीं
केवल चिकित्सा खर्च, बीमा और आवश्यक देखभाल प्रदान की जाती है।
✔ एग डोनेशन / स्पर्म डोनेशन पर नियम
- केवल प्रमाणित डोनर से
- दंपति को अनुमति अनुसार उपयोग
भारत में अल्ट्रुइस्टिक सरोगेसी की प्रक्रिया
सरोगेसी प्रक्रिया कई चरणों में पूरी होती है:
- मेडिकल मूल्यांकन (Medical Screening)
दंपति और सरोगेट माँ दोनों का स्वास्थ्य परीक्षण किया जाता है:
- ब्लड टेस्ट
- हार्मोन प्रोफाइल
- स्कैन
- मानसिक स्वास्थ्य मूल्यांकन
- कानूनी दस्तावेज़ (Legal Documentation)
सरोगेसी के लिए:
- सरोगेसी एग्रीमेंट
- काउंसलिंग रिपोर्ट
- मेडिकल कारणों का प्रमाण
- जिला स्तरीय बोर्ड की मंज़ूरी
इन सबके बाद दंपति को सरोगेसी अनुमति प्रमाणपत्र (Surrogacy Certificate) मिलता है।
- IVF प्रक्रिया
- दंपति के एग और स्पर्म का उपयोग कर भ्रूण (Embryo) तैयार किया जाता है।
- भ्रूण को सरोगेट माँ की गर्भाशय में ट्रांसफर किया जाता है।
- गर्भावस्था और देखभाल
सरोगेट माँ की नियमित जांच, दवाएँ और पोषण का पूरा ध्यान रखा जाता है।
बीमा कवर के तहत गर्भावस्था और प्रसव की सुरक्षा सुनिश्चित होती है।
- बच्चे के जन्म के बाद
जन्म के बाद बच्चा कानूनी रूप से इच्छित माता-पिता का होता है।
आगे के दस्तावेज़ और जन्म प्रमाणपत्र उसी अनुरूप तैयार किए जाते हैं।
परोपकारी सरोगेसी के लाभ
- नैतिक और कानूनी रूप से सुरक्षित।
- पारदर्शी प्रक्रिया।
- रिश्तेदार सरोगेट होने से भरोसा अधिक।
- मेडिकल जोखिमों और वित्तीय दुरुपयोग को रोकता है।
निष्कर्ष
भारत में Altruistic Surrogacy उन दंपतियों के लिए एक सुरक्षित, कानूनी और संवेदनशील विकल्प है जो किसी चिकित्सकीय कारण से संतान प्राप्ति में असमर्थ हैं। सरोगेसी कानून अब प्रक्रिया को अधिक संरचित, पारदर्शी और सुरक्षित बनाते हैं।
यदि आप सरोगेसी के बारे में सोच रहे हैं, तो सही जानकारी और विशेषज्ञ मार्गदर्शन आपके निर्णय को आसान और सही दिशा में ले जा सकता है।
