पुरुष बांझपन (Male Infertility) लगभग 40–50% मामलों में जिम्मेदार होता है। कई पुरुषों में शुक्राणु प्राकृतिक रूप से बाहर नहीं आ पाते या वीर्य में मौजूद नहीं होते। इसके पीछे मेडिकल, हार्मोनल या संरचनात्मक कारण हो सकते हैं। ऐसे में एडवांस्ड स्पर्म रिट्रीवल तकनीकें (Sperm Retrieval Techniques) IVF या ICSI के लिए स्वस्थ शुक्राणुओं को प्राप्त करने में बेहद कारगर साबित होती हैं।
इन तकनीकों की मदद से कई दंपतियों ने माता-पिता बनने का सपना पूरा किया है, भले ही प्राकृतिक गर्भधारण संभव न हो।
स्पर्म रिट्रीवल की आवश्यकता कब पड़ती है?
स्पर्म रिट्रीवल उन पुरुषों के लिए की जाती है जिनमें वीर्य में शुक्राणु नहीं मिलते या प्राकृतिक स्खलन संभव नहीं होता। इसके मुख्य कारण हैं:
- एज़ूस्पर्मिया (Azoospermia) – वीर्य में शुक्राणुओं का पूरी तरह अभाव
- ऑब्सट्रक्टिव एज़ूस्पर्मिया – प्रजनन नलिकाओं में रुकावट
- नॉन-ऑब्सट्रक्टिव एज़ूस्पर्मिया – वृषणों में कम या कमजोर उत्पादन
- इजैकुलेशन डिसऑर्डर
- स्पाइनल कॉर्ड इंजरी
- वेसक्टॉमी के बाद या असफल वेसक्टॉमी रिवर्सल
इन सभी स्थितियों में, वृषणों में कहीं न कहीं शुक्राणु बने रहते हैं—इसीलिए रिट्रीवल तकनीकें बेहद महत्वपूर्ण हैं।
एडवांस्ड स्पर्म रिट्रीवल तकनीकों के प्रकार
नीचे दी गई तकनीकें सबसे अधिक उपयोगी और सफल मानी जाती हैं:
- TESA (टेस्टिकुलर स्पर्म एस्पिरेशन)
इसमें पतली सूई के द्वारा वृषण (Testis) से स्पर्म वाले ऊतक निकाले जाते हैं।
- उपयोग: ऑब्सट्रक्टिव एज़ूस्पर्मिया
- फायदे: तेज़ प्रक्रिया, कम दर्द
- स्थानीय एनेस्थीसिया में की जाती है
- PESA (पर्क्यूटेनियस एपिडिडिमल स्पर्म एस्पिरेशन)
इसमें सूई के द्वारा एपिडिडिमिस से सीधे स्पर्म निकाले जाते हैं।
- उपयोग: वास डिफरेंस में रुकावट या जन्मजात अनुपस्थिति
- फायदे: जल्दी रिकवरी, सरल प्रक्रिया
- TESE (टेस्टिकुलर स्पर्म एक्सट्रैक्शन)
यह एक सर्जिकल बायोप्सी होती है जिसमें वृषण से ऊतक लेकर उनमें स्पर्म खोजे जाते हैं।
- उपयोग: नॉन-ऑब्सट्रक्टिव एज़ूस्पर्मिया, या TESA/PESA असफल होने पर
- अधिक सफलता
- स्थानीय या जनरल एनेस्थीसिया में किया जाता है
- Micro-TESE (माइक्रोसरजिकल टेस्टिकुलर स्पर्म एक्सट्रैक्शन)
यह सबसे एडवांस्ड और सटीक तकनीक है। माइक्रोस्कोप की मदद से सबसे स्वस्थ शुक्राणु-उत्पादक नलियां पहचानी जाती हैं।
- उपयोग: गंभीर पुरुष बांझपन, अत्यंत कम स्पर्म उत्पादन
- फायदे:
- सर्वाधिक सफलता दर
- वृषण को कम नुकसान
- नॉन-ऑब्सट्रक्टिव एज़ूस्पर्मिया में गोल्ड-स्टैंडर्ड तकनीक
- इलेक्ट्रोइजैकुलेशन (Electroejaculation)
उन पुरुषों के लिए जो प्राकृतिक स्खलन नहीं कर पाते, जैसे स्पाइनल कॉर्ड इंजरी वाले मरीज।
- एनेस्थीसिया के तहत किया जाता है
- शुक्राणु मिलने की उच्च संभावना
- विशेष स्थितियों में मैनुअल संग्रह
रेट्रोग्रेड इजैकुलेशन (वीर्य मूत्राशय में चला जाना) में, मूत्र से प्रोसेसिंग कर शुक्राणु निकाले जाते हैं।
स्पर्म रिट्रीवल IVF/ICSI में कैसे मदद करता है?
स्पर्म मिलते ही निम्न तकनीकों में उपयोग होता है:
- ICSI – एक-एक शुक्राणु को अंडाणु में इंजेक्ट किया जाता है
- IVF – लैब में अंडाणु व शुक्राणु को मिलाया जाता है
- क्रायोप्रिज़र्वेशन – प्राप्त शुक्राणुओं को भविष्य के चक्रों के लिए फ्रीज किया जाता है
कम संख्या में भी स्वस्थ स्पर्म मिल जाएं तो ICSI से सफल गर्भधारण संभव है।
सफलता दर और क्या उम्मीद करें?
सफलता कई कारकों पर निर्भर करती है:
- पुरुष बांझपन का कारण
- महिला साथी की उम्र व स्वास्थ्य
- अपनाई गई तकनीक
- लैब और विशेषज्ञ की कुशलता
Micro-TESE जैसी एडवांस्ड तकनीकों में उत्कृष्ट सफलता दर देखी जाती है।
अधिकतर प्रक्रियाएं मिनिमली इनवेसिव होती हैं और रिकवरी भी तेज़ होती है।
निष्कर्ष
एडवांस्ड स्पर्म रिट्रीवल तकनीकों ने पुरुष बांझपन का इलाज पूरी तरह बदल दिया है। TESA, PESA, TESE और Micro-TESE जैसी तकनीकें उन स्थितियों में भी उम्मीद जगाती हैं जहाँ प्राकृतिक गर्भधारण संभव नहीं होता।
समय पर निदान और अनुभवी फर्टिलिटी विशेषज्ञों की देखरेख में इलाज करवाना दंपतियों की सफलता की संभावना को कई गुना बढ़ा देता है।
